रेस्टोरेंट आ मल नइ छेलै
पपकर्न आ सिनेमा हल नइ छेलै
सुकुन तहियो छेलैय जीवनमे
जहिया कतौ चापाकल नइ छेलै
मस्त रहैथ सब कियो अपने मस्ती मे
सब अपन, कियो बिरान नहि यहि बस्ती मे
मुसीबत आबै त’ सब मिल बाइट लैथ
करैत व्याह काम जे सबकियो ठाइन लैथ
मायके साड़ी पहिर क’ राम आ सीता बनैत छेलौँ
एकोबेर टोनि दैत कियो बोम फाइर क कनैत छेलैँ
टाङ स मुँरीतक माइट लगा के एनाई होइत छेलैँ
बाबु के फटकार आ माय के समझेनाई होइत छेलै
दादी-बाबाके कहानी आब कहानी बनि गेलै
मोरै स पहिले देलहा रुपैयाँ आब निशानी बनी गेलै
मुसीबत आबै त आबैछै याद गांव के
स्मृति आइयो छै कागजके नाव के
आबैछै जब याद गांव के चुपेचाप कानी लैत छी
नै आयत ओ दिन घुमिक से हृदय सँ मानी लैत छी
श्राेत: https://www.dmkhabar.com लेखक:गेना यादव